Passive Income Meaning in Hindi (Full Explained) 2022

Passive Income in Hindi: जिस वक़्त आप पैसिव इनकम और पोर्टफोलियो इनकम (Passive Income & Portfolio Income) को अपनी लाइफ का हिस्सा बना लेते हैं, आपकी जिंदगी बदल जाती है। आप ऐसे कई लोगों को जानते होंगे जो खुद को फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स या फिर इन्वेस्टर्स कहते हैं। 

जब उनसे पूछा जाता है कि उनकी पैसिव इनकम या पोर्टफोलियो इनकम कितनी है, तो ज्यादातर लोग कहते हैं कि उनके पास इस तरह के इनकम के सोर्स ज्यादा नहीं हैं, या बिल्कुल भी नहीं हैं। इसके बावजूद वे इनवेस्टर होने का दावा करते हैं। 

Active Income vs Passive Income in Hindi vs Portfolio Income

जरा इस बारे में सोचने के लिए एक मिनट निकालें कि एक्टिव, पोर्टफोलियो, और पैसिव इनकम के बीच का डिफरेंस जानने से आपके और दूसरे लोगों की लाइफ पर कितना गहरा इफेक्ट पड़ सकता है। ये अपेक्षाकृत सरल है, लेकिन सिर्फ फर्क जानने से ही आपकी लाइफ में बड़ा भारी अंतर आ सकता है। 

बहुत सारे लोग जिंदगी भर कड़ी मेहनत करने के बाद भी जिंदगी की चूहा दौड़ में इसलिए फंसे रहते हैं या गरीब बने रहते हैं क्योंकि वे अपनी जिंदगी स्लो प्लानिंग के हिसाब से जीते हैं।

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अगर आप जवानी में अमीर बनना चाहते हैं तो एक इम्पोर्टेन्ट बात ये है कि आप शांति से बैठकर खुद से पूछें, “मैं किस प्लानिंग पर चल रहा हूं और ये किसकी प्लानिंग है?” आप खुद से ही ये सवाल भी पूछ सकते हैं: 

  • 1. “मुझे पूरी लाइफ पैसे के लिए काम ना करना पड़े, इसकी क्या स्ट्रैटिजी हो सकती है?” 
  • 2. “मेरी थिंकिंग कितनी फास्ट है?” 
  • 3. “मैं आज जो काम कर रहा हूं, ये काम भविष्य में मुझे कहां लेकर जाएगा?” 
  • 4. “मैं आज किस तरह के इनकम के लिए काम कर रहा हूं और क्या मैं फ्यूचर में भी इसी तरह की इनकम चाहता हूं?” 
  • 5. “मुझे लॉन्ग टर्म में जॉब सेफ्टी की क्या कीमत चुकानी पड़ेगी?” 

आपने कई बड़े इनवेस्टर्स और ब्रोकरेज हाउसों से PE Ratio, Re-Investment Plan, Market Capitalization या ऐसे ही अन्य पॉपुलर शब्दों को बोलते सुना होगा। ये ब्रोकरेज हाउस आपके दिमाग में ये बात डालना चाहते हैं कि बेहतर इनवेस्टर बनने के लिए इनकी डेफिनेशन जानना इम्पॉर्टेंट है, और सच में ये सही भी है।

लेकिन अगर आप सचमुच अमीर बनना चाहते हो, तो आपको इनसे भी ज्यादा बेसिक और जरूरी डेफिनेशन जानने की जरूरत है। (Passive Income in Hindi Full Explained)

Basic Fundamental Ratio in Passive Income in Hindi

इनमें से कुछ ज्यादा बेसिक फंडामेंटल और इम्पॉर्टेंट शब्द है आपका Individual Current Ratio, Quick Ratio, Liquidity Ratio, Debt to Earning Ratio. इसके अलावा आपको एसेट और लायबिलिटी में फर्क मालूम होना चाहिए, और पैसिव पोर्टफोलियो तथा पैसिव इनकम में भी। बाद वाले शब्द ज्यादा जरूरी क्यों हैं? 

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जवाब ये है कि पीई रेशो, री-इनवेस्टमेंट प्लान, मार्केट कैपिटलाइजेशन जैसे शब्दों का असल में आपसे कोई सीधा रिलेशन नहीं है। खासतौर पर तब, जब आप बिजनेस या फिर इनवेस्टमेंट की शुरुआत कर रहे हों। आपके और आपके लाइफ के लिए ज्यादा जरूरी और बेसिक Ratio है, Debt to Equity Ratio or Liquidity Ratio। क्योंकि ये Ratio व्यक्तिगत रूप से आपके लिए उपयोगी है। 

आप इन डेफिनिशन का इस्तेमाल अपनी असल जिंदगी में कर सकते हैं। अगर आप समझते हैं कि आप पर्सनली इन Ratio को लाइफ में कैसे लागू कर सकते हैं। और अगर आप इन शब्दों को अपनी लाइफ में लागू कर लेते हैं तो ये शब्द आपकी लाइफ का हिस्सा बन जाते हैं।

What is PE Ratio in Hindi?

पीई रेशो (PE Ratio) स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड कंपनियों पर लागू होता है, जैसे रिलायंस और टीसीएस। PE Ratio हम पर लागू नहीं होता है, जब तक कि हम खुद को बेचना ही नहीं चाहते। जो लोग ये नहीं जानते हैं कि ये पीई रेशो (PE Ratio) क्या होता है, उन्हें बता दें कि पीई रेशो (PE Ratio) ये पता करता है कि कोई शेयर कितना महंगा या सस्ता है। 

वैसे हर समझदार खरीदार ये जानता है कि सस्ते का मतलब ये नहीं है कि सौदा अच्छा है। पीई रेशो (PE Ratio) इनकम के अनुपात में किसी शेयर के भाव की तुलना करता है। उदाहरण के लिए अगर Per Share Income ₹2 है, और शेयर का भाव ₹20 है, तो उस शेयर का पीई रेशो 10 होगा। 

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जिसका मतलब है कि अगर बाकी चीजें समान रहीं, तो आपको अपने ₹20 पाने में 10 साल का टाइम लग जाएगा। ज्यादा या कम पीई रेशो का ये मतलब नहीं होता कि कोई शेयर अच्छी या बुरी खरीद है।

PE Ratio Example in Hindi

जैसे अगर आपको एक किलो  घी खरीदना है, तो उसकी कीमत से आपको ये पता नहीं चलता है कि यह अच्छा या बुरा है। आपको सस्ता  घी खरीदने से पहले बाकी चीजों की भी जांच करनी चाहिए। कई रेशों (Ratio) को समझना ज्यादा जरूरी है, और अगर आप उन्हें समझ लेते हैं तथा उनका इस्तेमाल करते हैं तो ज्यादा अमीर बनने और आर्थिक रूप से सफल होने की आपकी पॉसिबिलिटी बढ़ जाती है।

Important Ratio in Investing in Hindi

दोस्तों जिस तरह पीई रेशो (PE Ratio) किसी कंपनी के मैनेजमेंट में इनवेस्टर के विश्वास को दर्शाता है। उसी तरह अपनी लाइफ के मैनेजर के रूप में आपको भी कुछ रेशों की जरूरत पड़ती है, जो आपकी लाइफ पर लागू होते हो। अगर आप अपनी फाइनेंशियल लाइफ के बेहतर मैनेजर बनना चाहते हैं, तो आपको इस बारे में और ज्यादा नॉलेज हासिल करना होगा। 

इसके लिए आपको लेखक “मॉर्गन हौसल” की “द साइकोलॉजी ऑफ मनी” बुक जरूर पढ़ना चाहिए। इस बुक ने मेरी भी पर्सनली बुहत मदद है। और अच्छी बात ये है की यह बुक आपको अमेज़न पर हिंदी भाषा में भी मिल जाएगी, आप इसे यहाँ से खरीद सकते है।

What is Debt to Equity Ratio in Hindi

एक बुहत जरूरी रेशो आपका Debt to Equity Ratio होता है। ये ज्यादा जरूरी इसलिए है क्योंकि हममें से हर कोई इस रेशो का इस्तेमाल कर सकता है। और हमें इस रेशो का इस्तेमाल हर महीने करना चाहिए। 

उदाहरण के लिए मान लेते हैं कि आपके पास ₹1 लाख का लॉन्ग टर्म या शॉर्ट टर्म लोन है। और आपके पास ₹20,000 की एसेट्स या इक्विटी है। तो आपका Debt to Equity Ratio इस तरह दिखेगा: 

1,00,000/20,000 = 5 

तो दोस्तों, इस मामले में आपका Debt to Equity Ratio 5 होगा। सवाल ये है कि इसका क्या मतलब है? देखिए, असल जिंदगी में इसका बहुत कम मतलब है। लेकिन अगर अगले महीने आपका ये रेशो 10 हो जाता है, तो इससे आपको पता चल जाता है कि आप अपने लाइफ का बुरा मैनेजमेंट कर रहें है। 

10 के Debt to Equity Ratio का मतलब ये हो सकता है कि या तो आपका कर्ज बढ़कर 2 लाख हो गया है या फिर आपकी एसेट्स और इक्विटी घट कर ₹10,000 हो गई है। 

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दोनों ही मामलों में इन नंबर्स का आपके लिए ज्यादा मतलब होगा, क्योंकि ये ऐसे नंबर है जिनका आपके लाइफ में गहरा और सीधा रिलेशन है। ये सरल रेशो आपको ये सिखाने का बहुत बढ़िया साधन है कि आप अपने काम से काम कैसे रखे और उसका मैनेजमेंट कैसे करें।

What is Wealth Ratio in Hindi?

दोस्तों अगर आप अपनी फाइनेंशियल लाइफ को पटरी पर रखना चाहते हो, तो आपको कुछ और Ratio की जानकारी होनी चाहिए। एक रेशो जिस पर हमें नजर रखना सीखना होगा, जिसे Wealth Ratio कहते हैं। Wealth Ratio का फॉर्मूला है: 

पैसिव इनकम + पोर्टफोलियो इनकम / कुल खर्च 

अपने वेल्थ रेशो (Wealth Ratio) के कैलकुलेशन करने का गोल ये है कि आपकी पैसिव और पोर्टफोलियो इनकम, आपके कुल खर्च के बराबर हो जाए, या उससे आगे निकल जाए, तो इसका ये मतलब है कि आप अपनी जॉब छोड़ने के बाद भी अपनी पैसिव इनकम के जरिए वही लाइफस्टाइल कायम रख सकते हैं। 

जब आपकी पैसिव और पोर्टफोलियो इनकम आपके खर्च से ज्यादा हो जाती है तो आप चूहा दौड़ से बाहर निकल आएंगे। यही वो खेल है जो आपको सिखाता है कि पैसिव और पोर्टफोलियो इनकम कैसे बनाई जाए (How to Create Passive Income Hindi)। इसका यह एक सरल उदाहरण देखें:

Wealth Ratio Example in Hindi

अगर आप हर महीने ₹6,000 पैसे पैसिव इनकम और ₹2,000 पोर्टफोलियो इनकम से कमाते हैं। वही आपका महीने का खर्चा ₹40,000 है, तो वेल्थ रेशो (Wealth Ratio) का फार्मूला 

6000 + 2000 / 40,000 = 0.2 

इसका मतलब है कि पैसिव (Passive Income) और पोर्टफोलियो इनकम आपके खर्च के 20% के बराबर है। तो दोस्तों, आपको इस बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए। जैसा हमने शुरू में ही बात की थी कि जिस पल आप पैसिव इनकम और पोर्टफोलियो इनकम को अपनी लाइफ का हिस्सा बना लोगे, आपकी जिंदगी बदल जाएगी। 

पैसिव और पोर्टफोलियो इनकम के बारे में सचमुच, जितना ज्यादा आप जान लोगे, आपके जिंदगी में उतना ही फ्रीडम आ जाएगी। क्योंकि आपके जिंदगी की रियलिटी बदल जाएगी। 

तो दोस्तों, मुझे कॉमेंट करके बताएं आपका वेल्थ रेशो क्या (What is Wealth Ratio) है? अगर आपको जानकारी अच्छी लगी है तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें। साथ ही बताई गई बुक को भी पढ़ना न भूलें।

Source: Internet

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