आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत जीवन बीमा के प्रीमियम पर आयकर में कटौती का लाभ मिलता है।
इसकी अधिकतम सीमा 1.5 लाख रुपये है। जीवन बीमा कम से कम इतना तो होना चाहिए कि हमारे न रहने पर परिवार को कोई आर्थिक परेशानी नहीं हो।
टैक्स बचाने के लिए लाइफ इंश्योरेंस नहीं लेना चाहिए बल्कि टैक्स सेविंग को अतिरिक्त लाभ समझ कर चलना चाहिए।
आपने जीवन बीमा कंपनियों के यूलिप के बारे में जरूर सुना होगा। यूलिप वास्तव में जीवन बीमा कंपनियों के मार्केट लिंक्ड प्रोडक्ट्स हैं।
ये भी आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की कटौती का लाभ आपको देते हैं।
जीवन बीमा कंपनियां ज्यादातर एंडोमेंट पॉलिसी ऑफर करती है। ये पॉलिसियां जीवन बीमा के साथ-साथ बचत में भी सहायक होते हैं।
आपने मनी बैक पॉलिसी के बारे में जरूर सुना होगा, यह पॉलिसी एंडोमेंट पॉलिसी के दायरे में आती है।
आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत आप इसके प्रीमियम के भुगतान पर भी 1.5 लाख रुपये तक की कटौती का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
1 अप्रैल 2012 के बाद खरीदी गई टर्म इंश्योरेंस पॉलिसियों के मामले में प्रीमियम बीमा कवर के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।